Sunday 30 December 2012

Neend kis tarah aayee tumhe uss raat


उनसे क्या कहूं जिन्होंने वह ज़ुल्म किया। यह संबोधन उन सम्वेद्न्हीनों से है जिन्होंने 16 दिसम्बर को उस अबला की सहायता नहीं की।

हे कृषण-देश के वासियों 
बतलाओ मुझे यह बात
नींद किस तरह आयी तुम्हे उस रात ?

उसकी वेदनाएं, उसकी चीत्कार
सहायता के लिए उसकी पुकार 
सुनी नहीं तुमने या सुन ना  चाही नहीं
अबला की चीखों ने क्या नहीं किया
तुम्हारे ज़मीरों पर कुठाराघात
नींद किस तरह आई तुम्हे उस रात ?

बहुत सहा उसने, बहुत लड़ा उसने
पर कहाँ तक और कब तक लडती वह
अंततः वह चल गयी, पर
छोड़ गयी अधूरे सपने और कुछ मर्मस्पर्शी तास्सुरात
और बहुत से उलझे हुए सवालात
सर्वप्रथम यह की नींद किस तरह आयी तुम्हे उस रात ?

हे कृषण-देश के वासियों 
बतलाओ मुझे यह बात
नींद किस तरह आयी तुम्हे उस रात ?

7 comments:

  1. Touchy, Painful words directly came to heart and reminded us to put some water in Eyes.

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  2. Dont have the words to express myself! Am just too numb. But very well written Tahir Bhai and lets work together to have a solid solution to punish these beasts!!

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  3. Very well put, Sir. Marmsparshi.

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  4. आपका इस मर्मस्पर्शी कविता को पोस्ट करने का टाइम ही ये दर्शाता है की हम सब इस शर्मनाक कृत्य के बाद कई कई रात सो नहीं पाए हैं.....ग़ुस्से को भावनात्मक रूप में बहुत अच्छी तरह प्रकट किया है आपने ताहिर भाई !!!

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  5. पढ़ के सर झुक गया है, शब्द नहीं हैं बयां करने के लिए, कोसता हूँ खुद को की मैं उसी समाज का हिस्सा हूँ :(

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  6. kaun hai jo so paayegaa us raat ke baad, kisko suhaana sapn aaya us raat ke baad, cheekh ney kis kaan meiN na chhed kar diya, kiskey dil ko chain hai us raat ke baad.

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